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चलते-चलते

यूं ही चलते-चलते न जाने कितनी बातें आती हैं आपके मन में ....हमारे मन में

Sunday, September 21, 2008

ये मेरी पहली ट्रायल पोस्‍ट है

धन्‍यवाद
Posted by राहुल सि‍द्धार्थ at 5:27 PM No comments:
Labels: परि‍क्षण
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राहुल सिद्धार्थ उवाच

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राहुल सि‍द्धार्थ
जमाना बदल रहा है तो हम भी बदल रहे है.यूं हमेशा कॉपी-कलम लेकर ही लिखते रहे आजतक.वैसे बात कुछ और भी है कि देश की जनसंख्या के अनुपात में हम हिन्दी पाठकों का पेट भी बडा है तो सोचा कि क्यूं न अपना पेट क़ुछ ऐसे भी भरे.
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