Friday, October 31, 2008

दरख्वास्त

दोस्तों
पिछ्ले कुछ दिनों से गैर हाजिर था । पत्नी भाईदूज के अवसर पर जनकपुर अर्थात मायके गईं थी। सो मै भी उनके साथ हो लिया. तो कुछ भी खत-खुतूत न कर सका. अब आ गया तो फिर से हाजिर हूं एक और पोस्ट क़ॆ साथ .

Saturday, October 25, 2008

जाने भी दो यारों

आईये चलते=चलते देखे आज कल क्या हो रहा है-------

तो सबसे पहले हमने भी लगा ली है छ्लांग चांद के उपर -बधाई हो भाई।

दूसरी तरफ हम जमीन के नीचे भी धसे जा रहे हैं तो आप कहेंगे कैसे तो आप देख ही रहे होंगे कि मुम्बै में पिछ्ले दिनों क्या हुआ और फिर बिहार में।

मान कि उत्तर भारत वाले का रुझान अभी भी प्राईवेट नौकरीओ कि तरफ नहीं बल्कि सरकारी नौकरी की तरफ है तो फिर महाराष्ट्री भाई उस पर लट्ठ तो मत बरसाओ। जोर आजमाना है आप भी क्यू नहीं कॉपी कलम लेकर उनके साथ कुछ जोर आजमाईश कर लेते हो।जो जितेगा वही सिकन्दर.
मुम्बै मे जो हो रहा है देखकर तो बुरा लगा ही उसपर राज ठाकरे का ताल ठोकना कि दम है तो कर लो गिरफ्तार । भाई भस्मासुर् न बनो , औरों का कुछ होने वाला नहीं।ऐसा न हो कि इस हवा में तुम ही उखड़ जाओ और पता भी न चले.
कभी मुम्बै से बाहर भी निकलकर देखो पता चल जाएगा कुऍ क़ॆ मेंढक में दम कितना है..............