Saturday, December 6, 2008

खामोश!!ब्रेकिंग न्यूज जारी है..

आज भारतीय इलेक्ट्रौनिक मीडिया अपनी बेबाकी के लिए खुद को कठघरे में खड़ी पा रही है। मुम्बई के हादसे ने एक बार पुनः मीडिया के स्वतंत्र चरित्र पर सवाल खड़ा कर दिया है कि स्वतंत्रता एवं उच्छ्र्खलता में वहॉ विभेद है या नहीं?

क्या इलेक्ट्रौनिक मीडिया का बाजार केवल ''ब्रेकिंग'' तक ही टिका हुआ है या उससे आगे भी उसकी कोई जिम्मेदारी है।इससे कौन इनकार कर सकता है कि भारत के साथ -साथ विश्व आतंकवाद के इस रूप को लेकर चिंतित हैं लेकिन इलेक्ट्रौनिक मीडिया पुनः अपनी वही न्यायाधीश वाली भूमिका में नजर आई है।इधर मुम्बई पर हमला हुआ और उधर इलेक्ट्रौनिक मीडिया ने इस हमले में पाकिस्तान को घसीटना शुरू कर दिया।

हॉ, बाद में यहाँ प्रमाण जरूर मिलने लगा कि लश्कर के साथ-साथ आई।एस.आई. की भी इस नापाक इरादे में शामिल होने संभावना है जिसकी पुष्टि भारत सरकार की तरफ से होना बाकी थी.

तो इलेक्ट्रौनिक मीडिया चाहती क्या है? क्या ''ब्रेकिंग न्यूज'' आज हमारे एवं मीडिया इंडस्ट्री के लिए इतनी जरूरी हो गयी है कि इसकी प्रतिस्पर्धा में वे थोड़ा सा भी परहेज नहीं कर सकते कि इस तरह की बयानबाजी से उनकी साख पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

भाषा के स्तर पर कम-से-कम जजमेंट वाली भाषा का प्रयोग उसी क्षण तो नहीं ही किया जाना चाहिए था। जब कोई भी एसी जजमेंटल भाषा का प्रयोग करता है तो उसक प्र्भाव व्यापक होता है और जब मीडिया केवल अपने ब्रेकिंग न्यूज की खातिर यह करने लगे तो उसकी साख पर बट्टा लगना स्वाभाविक है।

आज ''ब्रेकिंग न्यूज'' का आलम यह है कि आधे घंटे में एक नयी ब्रेकिंग न्यूज हमारे सामने हाजिर होती है और यदि कहीं हमें किसी चैनल पर यहाँ नहीं दिखती है तो तुरंत हम किसी दूसरे चैनल की तरफ का रूख करते है । मसलन कि हमारे समाज को अब ब्रेकिंग न्यूज की लत हो गई है जो उसकी संवेदनशीलता को खंडित कर रही है।खंडित इस रूप में कि कोई भी ब्रेकिंग न्यूज उसके लिए मनोरंजन एवं सनसनाहट का साधन भर बन गयी है.

आज ''ब्रेकिंग न्यूज''के बहाने इलेक्ट्रौनिक मीडिया इसी चीज को हमारे सामने रखकर अपने बाजार को गर्म कर रही है।तभी तो आपको वो यह भी बताती है कि उसके चैनल का कैमरा किसी घटना विशेष को कितना कवर कर रहा है ताकि आप उससे चिपके रहे।

लेकिन क्या मीडिया का उत्तरदायित्व किसी घटना को कवर करना,ब्रेकिंग न्यूज के तौर पर हमारे सामने पहुंचाना ही एक अहम लक्ष्य है और उसके आगे कुछ नहीं?

भारतीय मीडिया को बड़े ही गंभीर रूप से भारत के बाहर लिया जाता है।लेकिन उसके ब्रेकिंग न्यूज के लिए नहीं बल्कि समय के साथ-साथ चलने के लिए. आज इलेक्ट्रौनिक मीडिया समय की धड़कन एवं समाज के नब्ज को एक साथ लेकर चल रही है.

लेकिन खलल उत्पन्न तब होता है जब दोनों को संतुलित करने वाला तत्व 'उत्तरदायित्व' गायब हो जाता है।

पाकिस्तान में तो जी अभी जुम्मा-जुम्मा चार दिन हुए जब उसकी इडस्ट्री खुली हवा में पॉव पसार रही है लेकिन हमारी ब्रेकिंग न्यूज की करतूत की वजह से आज वह भी आप पर पत्थर फेंक रहे हैं।

इसलिए इन ब्रेकिंग वालों से आग्रह है कि वे किसी जजमेंट पर पहुंचने से पहले आखिर थोड़ा ठहरकर सोच लें कि वो क्या कहने जा रहे हैं और उसका प्रभाव क्या होने जा रहा है।

साथ ही भाई ये क्या मजाक एक तरफ कमांडो अपनी कारवाई कर रहे है और दूसरी तरफ आप उसका लाइव कवरेज दिखा रहे हो फिर आधिकारिक हस्तक्षेप के बाद आप उसका डेफर्ड लाइव दिखाते हो।बंधु इतना तो जानते हो कि कमांडो एक्शन को लाइव दिखाकर आप किसकी मदद कर रहे थे?भाई वो तो कोई अभ्यास तो था नहीं लेकिन आपलोगों ने उसे युद्धाभ्यास की शक्ल दे दी.

आप मीडिया वाले कुछ बोलते क्यों नहीं????????????

10 comments:

प्रवीण त्रिवेदी said...

बात तो आपने पते की कही है!!!

जितेन्द़ भगत said...

न्‍यूज चैनलवाले खबर दि‍खाने के चक्‍कर में मूर्खता की हद छूने लगे हैं।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

लाइव दिखा रहे है! तो गलती किसकी है। क्या पुलिस को यह भि सिखाना पडेगा कि किसी किस्म की अफ्वाह या सूचना को दिखाना या नहीं दिखाना चाहिए। होटल के सभी टीवी जैम कर दिये गये लेकिन आतंकियों को सेल पर रनिंग कमेन्ट्री मिल ही रही होगी कि बाहर क्या हो रहा है। क्या ये पुलिस का दायित्व नहीं था कि उस सारे इलाके की घेराबन्दी कर देते?

Girish Kumar Billore said...

Nice post apanee taza post men shamil kar rahaa hoon batour link
misfit par

समय चक्र said...

sahamat hu .

राहुल सि‍द्धार्थ said...

उत्साहवर्द्धन के लिए धन्यवाद मुकुल जी.

Jimmy said...

Bouth he aacha post hai yaar read ker ki aacha lagaa keep it up


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धीरेन्द्र पाण्डेय said...

bahut khub

योगेन्द्र मौदगिल said...

सटीक बात... मैं भगत जी से सहमत हूं..

Prakash Badal said...

मीडिया का काम है सनसनी फैलाना। उसे देश हित से क्या लेना


आपका लेख अच्छा लगा।