मेरा लगभग 21 माह का बेटा 'र' नहीं बोल पाता इसलिए कहता है---- आमदेव बाबा, सो मैं भी वही
लिख रहा हूं। यूं रामदेव बाबा को 'आमदेव' कहने के अपने खतरे हैं। रामदेव बाबा व्यायाम द्वारा देश को
स्वास्थ्य लाभ कराते हैं जबकि 'आमदेव बाबा' बनकर न जाने हम कितने गरिष्ट भोजों का स्वाद ले
लेकर उसे पेट क़ॆ क़ुएं में डालते चले जाते हैं।
बचपन में एक विज्ञापन देखा करता था जिसमें मास्टर जी कहते थे---'बच्चों ये है हमारे दॉतों की बनावट ----डाबर लाल दंत मंजन' सो उसकी तर्ज पर जब आज अधिकांश व्यक्तियों के शरीर
की बनावट देखता हूं तो घबरा उठता हूं और सुबह- सुबह आस्था चैनल लगाकर स्वास्थ्य बनाने की इच्छाशक्ति को
बढ़ाने की भरपूर कोशिश करता हूं।
टी.वी.का बटन ऑन करते ही बाबा की मुद्राएं और उनका हँसता मुख देखकर क्रतार्थ हो उठता हूं मानो
'बाबा' ने नहीं स्वयं मैंने ही समस्त व्यायाम कर लिए। देश से विदेश तक 'योग' को 'योगा' के रूप
प्रचारित कर बाबा ने सभी को स्वास्थ्य रक्षा के लिए प्रेरित तो किया ही , देश की प्राचीन संस्क्रति के महत्व का गान भी किया। मैं व्यायाम कर पाऊं या नहीं पर यह तो मानता हूं कि शरीर और
मन में सीधा संबंध है। मन की बनावट सुधरेगी तो शरीर भी सुधर ही जाएगा।
अंत में पंडित भीमसेन जोशी को 'भारत रत्न ' के लिए और काश्मीरी कवि रहमान राही को 'ज्ञानपीठ पुरस्कार 'के लिए सभी ब्लौगर दोस्तों की तरफ से बधाई.
सीता की दुविधा, रामकथा का नया रूप
14 years ago
4 comments:
भीम सेन जी को बहुत बधाई एवं नमन!!
अब, मन की बनावट की डेंटिंग पेन्टिंग तो कर ली मगर शरीर है कि मानता नहीं. :)
वैसे कह सही रहे हैं.
राहुल जी, राम देव से मेरा कुछ भला हुआ हो या नहीं, पर मेरे पिता जी को इनसे बड़ा लाभ हुआ।
लगता है, अभी संघर्ष में समय जाएगा,बाद में इलाज में। इसलिए जल्दी ही योगा शुरू करने की सोच रहा हूँ।
सही फ़रमाया आपने..सहमति. पंडित जी के लिए शब्द नहीं हैं.
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लीजिये,टिपण्णी करने में सहूलियत होगी
Bilkul sahi baat
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